कवि ने फसल को हजार-हजार खेतों की मिट्टी का गुण-धर्म कहा है-
(क) मिट्टी के गुण-धर्म को आप किस तरह परिभाषित करेंगे?
(ख) वर्तमान जीवन शैली मिट्टी के गुण-धर्म को किस-किस तरह प्रभावित करती है?
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में क्या किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना की जा सकती है?
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हमारी क्या भूमिका हो सकती है?
(क) मिट्टी में विभिन्न प्रकार के तत्व होते हैं जो उसकी पोषक क्षमता या उर्वरा शक्ति को बढ़ाते हैं| इन आवश्यक पोषक तत्वों को फसल मृदा से ग्रहण कर लेती है| फसल द्वारा ग्रहण किये गए पोषक तत्व उसकी वृद्धि में सहायक होते हैं| मिट्टी फसल को जल एवं अन्य आवश्यक पदार्थ भी उपलब्ध कराती है| फसल के फलने फूलने एवं वृद्धि के लिए मृदा अति आवश्यक पदार्थ है|
(ख) वर्तमान में अति उपयोग(उपभोक्ताकरण) वाली जीवन शैली मिट्टी के गुणों पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है| वर्तमान का मानव प्रत्येक बस्तु, संसाधन का आवश्यकता से अधिक उपयोग करता है एवं उपयोग के बाद संसाधनों को फेंक देता है| इससे एक तो उपयोगी संसाधन नष्ट हो जाते हैं दूसरा उनके बचे हुए भाग प्रदूषण भी उत्पन्न करते हैं| संक्षेप में कहें तो वर्तमान जीवन शैली मृदा पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है| हमें मृदा पर पड़ने वाले इस नकारात्मक प्रभाव के प्रति सजग रहना चाहिए क्योंकि मृदा जीवन के लिए मूलभूत है|
(ग) मिट्टी द्वारा अपना गुण-धर्म छोड़ने की स्थिति में पृथ्वी पर किसी भी प्रकार के जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती क्योंकि पृथ्वी पर जीवन के लिए मिट्टी बहुत आवश्यक है| अगर मिट्टी के मूलभूत गुण समाप्त हो जाते हैं तो पृथ्वी पर जीवन भी समाप्त हो जाएगा|
(घ) मिट्टी के गुण-धर्म को पोषित करने में हम अपनी भूमिका इस तरह प्रस्तुत कर सकते हैं कि-
(1) ऐसे कारक जो मिट्टी पर नकारात्मक प्रभाव डालते हैं उनके बारे में पता लगाएँ और उन पर प्रतिबन्ध लगाएँ|
(2) अधिक से अधिक वृक्षारोपण करें क्योंकि वृक्ष मृदा को उपजाऊ बनाए रखने में बहुत महत्वपूर्ण हैं|
(3) प्रदूषण के कारणों का पता लगाएँ एवं उसे रोकने में अपना सहयोग दें|